एक प्रण

एक प्रण,
हर वृक्ष मे छुपा भगवान है,
उसकी छावँ मे सनेह विधमान है,
कयोँ हम सब भूल जाते हैं,
वृक्षों मे निहित हर साँस,हर प्राण है,
यह सँदेश जन जन तक पहुँचाना है,
भूल रहे मूल्यों को पुनः जगाना है,
समाज को फिर से याद दिलाना है,
हर मनुष्य को बचचों के माध्यम से दोहराना है,
पर्यावरण बचाव  समय की पुकार है,
रोज पुकार रहा, सुननी यह पुकार है,
मेहनतकश इँसानो को पड रही इसकी मार है,
अब करना प्रण है, हर पेड राषट्रीय समपदा है।
इसकी रक्षा करना हमारा जन्मसिद्ध सँवाद है।
अभिनँदन,
शैलेन्द्र...



अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें ।
अगर आपके पास कोई जानकरी है । तो हमें बताये हम आपके नाम के साथ पब्लिश करेंगे ।

हमारा ईमेल है: tharpostindia@gmail.com

Post a Comment

Previous Post Next Post

संपर्क फ़ॉर्म