"गुरुवंदना मंच" द्वारा गांधीनगर में प्रथम ब्रहर्षि सभा का एक दिवसीय सत्र आयोजित

 


 -- इस अधिवेशन में सर्वसम्मति से गुजरात राज्य में राजसत्ता के समानांतर धर्म सत्ता का गठन किया गया

-- गुरुवंदना मंच की सप्तर्षि परिषद और राज्य परिषद के संतों की उपस्थिति में, मुख्य धर्माचार्य के रूप में स्वामीश्री कृष्णानंदजी महाराज, उप प्रमुख धर्माचार्य के रूप में श्री मुदितवदनानंदजी महाराज, अध्यक्ष के रूप में श्री गौरांग शरण देवाचार्यजी, उपाध्यक्ष के रूप में श्री शरदभाई व्यास, महंतश्री कस्तूरदास बापू की अनुशासक और स्वामी श्री विजयानंदजी महाराज की विद्यत परिषद के प्रमुख के तौर पर नियुक्ति की गई


"गुरुवंदना मंच" द्वारा आयोजित प्रथम ब्रहर्षि सभा का एक दिवसीय सत्र गांधीनगर स्थित सिविल अस्पताल परिसर के ऑडिटोरियम(सभागार) हॉल में सेक्टर-12 में आयोजित किया गया। जिसमें व्यापक विचार-विमर्श के बाद, सर्वसम्मति से गुजरात राज्य में राजसत्ता के समानांतर धर्म सत्ता का गठन किया गया, जो कि संविधान के तहत कानून के अनुसार किया गया है।

ब्रहर्षि सभा जो कि विधान सभा के समकक्ष ही है, इसके द्वारा धर्माचार्य परिषद का गठन किया गया है, जो राजसत्ता के मंत्रिपरिषद के समकक्ष है। गुरुवंदना मंच की सप्तर्षि परिषद और राज्य परिषद के संतों की उपस्थिति में, मुख्य धर्माचार्य के रूप में स्वामीश्री कृष्णानंदजी महाराज, उप प्रमुख धर्माचार्य के रूप में श्री मुदितवदनानंदजी महाराज, अध्यक्ष के रूप में श्री गौरांग शरण देवाचार्यजी, उपाध्यक्ष के रूप में श्री शरदभाई व्यास, महंतश्री कस्तूरदास बापू की अनुशासक और स्वामी श्री विजयानंदजी महाराज की विद्यत परिषद के प्रमुख के तौर पर नियुक्ति पूर्ण वैदिक विधि विधान से शपथ ग्रहण के साथ संपन्न हुई थी। इसके साथ ही धर्माचार्य परिषद के 22 अन्य धर्माचार्यों ने भी शपथ ली।

इसके साथ ही गुजरात राज्य में राजसत्ता स्तर पर धर्मसत्ता का प्रस्थान हो गया है। अब से धर्मसत्ता का पूरा ध्यान गुजरात राज्य के 182 विधानसभा क्षेत्रों को गुरुवंदन मंच ब्रहर्षि सभाक्षेत्र मानकर इस पर ही केंद्रित होगा और हिंदू समाज में सांप्रदायिक सद्भाव के साथ-साथ सामाजिक सद्भाव और एकता के लिए व्यापक प्रयास किए जाएंगे। इसके अलावा सनातन धर्म पर विदेशी धर्मों के आक्रमणों को नाकामियाब करके एक वीर एवं पराक्रमी हिन्दू समाज का निर्माण और सार्वजनिक जीवन में नैतिक मूल्यों की स्थापना करने का प्रयास किया जायेगा।
स्वामी श्री मुदितवदनानंदजी सरस्वतीजी, स्वामी श्री कृष्णानंदजी महाराज, श्री एस.पी. स्वामी गोंडल, जगद्गुरु सूर्याचार्यजी द्वारका और स्वामी श्री गौरांगशरण देवाचार्यजी ने विशाल धार्मिक सभा को संबोधित किया।
 
इस अवसर पर सप्तर्षि परिषद के अध्यक्षश्री परम पूज्य महंतश्री कनिरामदासजी महाराज, परम पूज्य अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत स्वामीजी हरिहरानंदजी भारती, परम पूज्य महंतश्री आत्मानंद सरस्वतीजी महाराज, परम पूज्य महामंडलेश्वरश्री शिवराम साहेब, परम पूज्य श्री एस.पी. स्वामी, परम पूज्य महंतर्शी शांतिगिरिजी, परम पूज्य महंतश्री कृष्णानंदजी, परम पूज्य महंतश्री विजयदासजी बापू, परम पूज्य आदरणीय महामंडलेश्वरश्री मूलदासबापू, परम पूज्य आदरणीय महामंडलेश्वरश्री गोरधनबापा, परम पूज्य 108 महंतश्री क्षिप्रागिरि महाराज, महामंडलेश्वरश्री केशवानंदजी महाराज तथा राज्य परिषद के अध्यक्षश्री महामंडलेश्वरश्री ललित किशोरशरण, ब्रहर्षि साँ अध्यक्षश्री गौरांगशरणजी, स्वामीजी निजानंदजी बापू, महंतश्री मुदिवीवदनानंदजी, महंतश्री कस्तुरबापू, महामंडलेश्वरश्री जीणारामजी बापू, जगतगुरु सूर्याचार्य कुष्णदेवजी महाराज तथा प्रसिद्ध कथाकार के साथ-साथ राष्ट्र वंदना मंच के अध्यक्ष श्री डीजी वंजारा (पूर्व IPS) और उपाध्यक्ष श्री एम.ए. पटेल उपस्थित थे। समारोह का संचालन कथावाचक एवं गुरु वंदना मंच के संयोजक श्री रामेश्वरबापू हरियानी ने किया।

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