कभी कहकहों से गुजारा गया
कबूतर पानी में उतारा गया
इल्जाम सर किसके रखा जाये
उसे अभी सूली से उतारा गया
मंजरियाँ टूटी जब टहनियों से
उदास टहनियों को उतारा गया
शाम का वहीं अस्त होना हुआ
जिस ओर अन्धेरा उतारा गया
उनके नाजुक हाथों में"राज़"है
जिस हाथ में अश्क उतारा गया
भरत राज
धनेरिया पाली