जब मिली एक बार जिन्दगी मेरी ,
वो जिन्दगी ही बन गयी बंदगी मेरी
ये इतनी हसीन होगी ,पता न था
जब जीने लगी उसे खुलकर ,
उड़ने लगी आसमान में पंख फैलाकर ..
जमीं पर चलना अच्छा ना लगता था,
जिन्दगी ही सच्ची थी
और कोई सच्चा न लगता था..
कभी ख़ुशी देती ,कभी गम देती
अजनबी जिन्दगी
फिर भी अच्छी दोस्त बन जाएगी पता न था,
इतनी हसीन जिन्दगी प्यारी लगने लगी
खिल गयी खुशी की बगीया में हर एक कली।
पर ये जिन्दगी भी बड़ी अजीब हैं
कभी होठों पर मुस्कान लाती
कभी आँखों में आंसू दे जाती
कभी जिन्दगी रूठती तो कभी मै...
शिकायते बहुत होती पर थी चुप सी..
थी अंजान ,हकीकत जिन्दगी से ,
साथ छोड़ जाएगी कभी ना कभी वो मुझसे पर.....
एक बार मिली जिन्दगी को
मै जीना छोड़ दूँ...
जींदगी मुझे छोड़ जाये
इस डर से उसे
गले लगाना छोड़ दूँ ..
डरती हैं जिन्दगी मुझसे ,
इतना प्यार जो हैं मुझे उससे
हर पल डरती जिन्दगी से में ना डरती..
मैने कहा-"ए जिन्दगी तू क्या एक दिन यूँ बदल जाएगी ,
इतना करीब आके यू मुंह मोड़ जाएगी..
जिन्दगी ने कहा-"तू प्यार न कर मुझसे बस एक बार गले लगा जा ,
जीले मुझे जी भरकर,
फिर कही दूर
बहुत दूर चली जा...
मैने कहा-"एक दिन छोड़ जाना हैं
जिन्दगी तुझे तुझसे मुंह मोड़ जाना हैं जिन्दगी मुझे
फिर ना कभी लौट आयेगी ,फिर ना कभी तुझे सताएगी...
ये 'बदली' बहती हवा के संग आसमां में खो जायेगी...।
मेघा राजपुरोहित 'बदली'