HomeAuthor मुक्तक: मन byNews Desk -May 09, 2017 कभी नयनो उतरु मैं , कभी मैं दिल का हो जाऊँ तुम्हारे सामने आकर , जरा सा तुझ में खो जाऊँ मुझे हर रोज ढूंढेगी तुम्हारी हसरते आकर कभी मैं देर तक सोचू , तेरे नयनों में सो जाऊँ भरत राज Tags Author Muktak Sahitya Facebook Twitter Share:मुक्तक: मन Facebook Twitter WhatsApp Pinterest LinkedIn Reddit Tumblr Telegram Email